Ad

National Rural Livelihood Mission

अगले 5 सालों में तीन गुना बढ़ जाएगी दूध उत्पादकों की कमाई

अगले 5 सालों में तीन गुना बढ़ जाएगी दूध उत्पादकों की कमाई

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। दुनिया के कुल दूध उत्पादन का लगभग 23 प्रतिशत दूध भारत में उत्पादित होता है। देश में वर्ष 2014-15 में 146.31 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था जो अब बढ़कर 2020-21 में 209.96 मिलियन टन हो गया है। लेकिन इसके साथ ही भारत में दूध की खपत भी दिनोदिन बढ़ी है। भारत में दूध की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए किसान ज्यादा से ज्यादा उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, इसके साथ ही किसानों को दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अपनी आय को भी बढ़ाने का दबाव है, जो एक अलग चुनौती है। राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड यानी एनडीडीबी (NDDB – National Dairy Development Board) के अध्यक्ष मीनेश शाह (Shri Meenesh C Shah) ने कहा है कि देश के लाखों किसान इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं और इस व्यवसाय में जुड़कर वो दुग्ध क्षेत्र में क्रान्ति लाने का माद्दा रखते हैं। उन्होंने कहा कि देश में अभी दूध से होने वाला राजस्व 5,575 करोड़ रुपये है, जिसके अगले 5 साल में तीन गुना तक बढ़ने की संभावना है, अगले 5 सालों में दूध से होने वाला राजस्व 18,000 करोड़ रूपये तक पहुंच सकता है।


ये भी पढ़ें: लोबिया की खेती: किसानों के साथ साथ दुधारू पशुओं के लिए भी वरदान
मीनेश शाह ने बताया कि दुग्ध उत्पादक संघों ने बीते दशक में दूध उत्पादकों को लगभग 27,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो एक बहुत बड़ी रकम है। इस पैसे से किसानों के जीवन में खुशहाली आई है और देश के किसान बेहतर जीवनशैली जीने की ओर अग्रसर हुए हैं। जब किसानों के पास अतिरिक्त पैसा आता है तो उनकी आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति में सुधार होने के साथ-साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा में भी सुधार होता है। पैसे की मदद से किसानों के बच्चे भी उच्च शिक्षा पाने के लिए आगे जाते हैं। मीनेश शाह ने कहा, देश में वर्तमान समय में दूध उत्पादन प्रति दिन 100 लाख लीटर से भी अधिक हो रहा है, जो एक रिकॉर्ड है। मीनेश शाह ने ग्रेटर नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट (IDF World Dairy Summit 2022) को सम्बोधित करते हुए कहा, "राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड अपनी शाखा 'राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड डेयरी सर्विसेज' (NDDB Dairy Services (NDS)) के माध्यम से ऐसे लोगों को सुविधा प्रदान करेगा, जो दुग्ध उत्पादन को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का लक्ष्य हर जिले में दूध उत्पादन संगठन का विस्तार करना है।" मीनेष शाह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि देश का हर गांव और कस्बा प्रगति के पथ पर आगे बढ़े और दुग्ध उत्पादक संघों से बेहतर तरीके से जुड़ पाए।

ये भी पढ़ें: गुजरात में गोबर-धन से मिलेगी क्लीन एनर्जी, एनडीडीबी और सुजुकी ने मिलाया हाथ
मीनेश शाह ने उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं को असली स्टार्टअप बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाएं कई सालों से काम कर रही हैं, देखा जाए तो सही मायनों में वो असली स्टार्ट-अप हैं, जबकि आधुनिक स्टार्ट-अप की संकल्पना कुछ सालों से ही प्रचलन में आयी है। भारत में अभी तक लगभग 20 उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाएं काम कर रही हैं, जिनसे 750,000 किसान जुड़े हुए हैं, जिनमें 70 प्रतिशत महिलायें हैं। भारत की महिलायें अपनी कार्यकुशलता के साथ ही रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। पिछले साल इन 20 संस्थाओं ने कुल मिलाकर लगभग 5,600 करोड़ रुपये का कारोबार किया था।


ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई
मीनेश शाह ने अपने सम्बोधन में दूध किसानों की सफलता की कहानी भी बताई। उन्होंने कहा कि लगातार मेहनत और लगन के कारण दूध किसानों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया है। किसानों ने दूध के बिज़नेस से पिछले 10 सालों में 27,500 करोड़ रुपये अर्जित किये हैं। इसके साथ ही पिछले 10 सालों में किसानों ने इस रकम में से 175 करोड़ रूपये जमा भी किये हैं। भारत में किसानों से दूध की खरीददारी 40 लाख लीटर प्रतिदिन से ज्यादा पहुंच गई है, जो एक कीर्तिमान है।

ये भी पढ़ें: पशुपालन के लिए 90 फीसदी तक मिलेगा अनुदान
मीनेश शाह ने जोर देते हुए कहा कि, सरकार का उद्देश्य दूध किसानों का उत्थान करने के साथ ही दुग्ध उत्पादन को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाना है। सरकार किसानों के लिए वित्तीय सहायत प्रदान कर रही है। जिसमें राष्ट्रीय डेयरी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( National Rural Livelihood Mission - NRLM ) जैसी विभिन्न योजनाओं को शामिल किया गया है। किसान दूध उत्पादन के मामले में जल्द ही अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं, वो इस लक्ष्य से बस कुछ ही कदम दूर हैं। दूध उत्पादन में इन दिनों लगभग 5 लाख महिला किसान काम कर रही हैं, जिन्होंने दूध से होने वाली आय को 85 प्रतिशत तक बढ़ाने में योगदान दिया है। यह महिलाओं की सशक्तिकरण का नया उदाहरण है, जिसके कारण महिलायें अपने सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर ले जा रही हैं।
इस राज्य में 3000 महिलाएं होंगी सशक्त 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगा पौष्टिक आहार

इस राज्य में 3000 महिलाएं होंगी सशक्त 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगा पौष्टिक आहार

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बांदा जिले में चलने वाले 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों पर वर्तमान में पोषाहार की आपूर्ति बाहर से की जा रही है। हालाँकि, अब शीघ्र ही बुंदेलखंड में तैयार किए जा रहे पोषाहार के माध्यम से बच्चे, महिलाएं एवं किशोरियों का स्वास्थ्य काफी बेहतर होगा। उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जनपद में स्वयं सहायता समूह की करीबन 3000 महिलाएं वर्तमान में पोषाहार तैयार करके उड़ान भरेंगी। इन महिलाओं के माध्यम से स्वयं अपना धन खर्चकर 9000000 रुपए की लागत से टीएचआर इकाई की स्थापना की है। इसी माह से इसमें पोषाहार तैयार होने लग जाएगा एवं महिलाएं समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी आपूर्ति किया करेंगी।

इन उद्योगों से जिले के 300 समूह जोड़े जाएंगे

इसी प्रकार महुआ एवं बबेरू ब्लॉक में भी टीएचआर प्लांट निर्माणाधीन है, जहां पर मई माह से पोषाहार तैयार होना चालू हो जाएगा। इन उद्योगों से जिले के 300 समूह प्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगे एवं रोजगार के माध्यम से स्वयं आय में बढ़ोत्तरी करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि शासन नारी सशक्तिकरण के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को योजनाओं से जोड़के उनको रोजगार देने के पथ पर अग्रसर है। विशेष बात तो यह है, कि पशुपालन, मनरेगा, आपूर्ति विभाग एवं जिला कार्यक्रम विभाग की योजनाओं को महिलाओं के द्वारा संचालित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है।

एक समूह से 30000 रुपये इकट्ठे किए जाएंगे

खबरों के अनुसार, जिले में सुचारू 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों पर वर्तमान में पोषाहार की आपूर्ति बाहर से की जाती है। परंतु, फिलहाल अति शीघ्र ही बुंदेलखंड में निर्मित पोषाहार से बच्चे, किशोरियां और महिलाओं का बेहतरीन स्वास्थ्य बनेगा। प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से जिले के 3 ब्लॉक बबेरू, महुआ एवं बड़ोखर खुर्द में टेक होम राशन टीएचआर प्लांट स्थापित किया जाएगा। जरुरी बात यह है, कि एक प्लांट का खर्च तकरीबन 9000000 रुपए है। यह धनराशि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं निजी फंड से लगा रही हैं। प्रत्येक समूह से 30000 रुपये इकट्ठे किए गए हैं।

जानें कितने खाद्य पदार्थ तैयार किए जाएंगे

टीएचआर प्लांटों के माध्यम से जिले की 3000 महिलाओं की आजीविका के लिए रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। इस प्लांट में बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में बटने वाला पोषाहार तैयार किया जाएगा। एक प्लांट के अंतर्गत 100 समूह मतलब कि लगभग 1000 महिलाओं को जोड़ा जाएंगा। महिलाओं द्वारा प्लांट में बर्फी, एनर्जी हलवा, प्रीमिक्स मूंग, दाल, खिचड़ी, आटा, बेसन, हलवा निर्मित किया जाएगा। यह खाद्य पदार्थ खाद्यान हेतु तैयार होगें, जो कि पैकेट में बिल्कुल बंद रहेंगे। 

1 अप्रैल से खाद्यान सामग्री की आपूर्ति करेंगे

खाद्यान सामग्री की आपूर्ति 1 अप्रैल से आंगनवाड़ी केंद्र में करने की योजना है। दूरस्थ एड़ी में विशिष्ट मंडी स्थल के समीप निर्मित किए टीएचआर प्लांट में लगभग कार्य पूर्ण हो गया है। मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्या ने इसके संदर्भ में सोमवार को निरीक्षण किया था एवं 1 हफ्ते में इसकी शुरूआत करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इससे महिलाओं के सशक्तिकरण को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।